क्या आप जानते हैं कि पैतृक संपत्ति की बिक्री के नियम अब कितने सख्त हो गए हैं? सुप्रीम कोर्ट के इस नए निर्णय से आपके परिवार की संपत्ति और अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। पूरी जानकारी प्राप्त करें और विवादों से बचें!
भारत में, पैतृक संपत्ति अक्सर परिवारों के बीच विवाद का कारण बनती है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय दिया है, जिससे पैतृक संपत्ति की बिक्री के नियमों में व्यापक परिवर्तन हुए हैं। अब पैतृक संपत्ति को बेचना पहले जितना आसान नहीं होगा। यह निर्णय पारिवारिक संपत्ति की सुरक्षा और उत्तराधिकारियों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
Table of Contents
- एक वारिस नहीं बेच सकता पूरी संपत्ति
- बिना कानूनी विभाजन के बिक्री गैरकानूनी
- बेटियों को बराबर का अधिकार
- माता-पिता के अधिकार मजबूत
- केवल एग्रीमेंट से नहीं बदलता स्वामित्व
एक वारिस नहीं बेच सकता पूरी संपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि संपत्ति पैतृक है और उसका कानूनी रूप से विभाजन नहीं हुआ है, तो कोई भी एक उत्तराधिकारी बाकी सह-उत्तराधिकारियों की सहमति के बिना संपत्ति नहीं बेच सकता है। पहले, कई बार ऐसा देखा गया था कि परिवारों में सभी की सहमति के बिना भी कोई हिस्सा बेच दिया जाता था, जिससे विवाद बढ़ जाते थे। नया नियम सभी सह-उत्तराधिकारियों की लिखित सहमति को अनिवार्य बनाता है।
बिना कानूनी विभाजन के बिक्री गैरकानूनी
कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक संपत्ति कानूनी तौर पर विभाजित नहीं हो जाती, तब तक उसका कोई भी हिस्सा व्यक्तिगत रूप से बेचना गैरकानूनी है। विभाजन के बाद, प्रत्येक उत्तराधिकारी अपने हिस्से को स्वतंत्र रूप से नियंत्रित, बेच या दान कर सकता है।
बेटियों को बराबर का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने फिर से दोहराया है कि बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बेटों के समान अधिकार हैं, जैसा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद निर्धारित किया गया है। इसका तात्पर्य है कि बेटियां भी समान उत्तराधिकारी हैं और उनकी हिस्सेदारी का सम्मान किया जाएगा।
माता-पिता के अधिकार मजबूत
वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि बच्चे अपने माता-पिता की देखभाल नहीं करते हैं, तो बुजुर्ग माता-पिता कानूनी रूप से उस बच्चे को अपनी संपत्ति से वंचित कर सकते हैं। यह निर्णय बुजुर्गों की सुरक्षा और सम्मान को प्राथमिकता देता है।
केवल एग्रीमेंट से नहीं बदलता स्वामित्व
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल ‘एग्रीमेंट टू सेल’ (संपत्ति बिक्री का समझौता) से स्वामित्व हस्तांतरित नहीं होता है। संपत्ति का पूर्ण स्वामित्व तभी बदलता है जब विक्रय पत्र (सेल डीड) विधिवत पंजीकृत हो।